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पंडित, मौलवी, पाठी, तुमने ही तो बनाया है.! विज्ञा

पंडित, मौलवी, पाठी,
तुमने ही तो बनाया है.! 
विज्ञानिक, अर्थशास्त्री, मुनीम,
तुझसे ही तो आया है..!
भूतकाल सारा का सारा...
तुमने ही तो हमें सुनाया है..!
यूं कोन जान पाता खुद-व-खुद
कायनात का लेखा-जोखा...
तुममें ही तो समाया है नमस्कार लेखकों🌸

आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियपुस्तक । 

पुस्तक न केवल हमारी कल्पना शक्ति बढ़ाती है, बल्कि हमें केंद्रित करती हैं सही राह की ओर। क्या कहेंगे आप इस शब्दों से लदे, मौन मित्र से? 

Collab करें हमारे इस खास पोस्ट पर और पुस्तक के प्रति अपने विचार प्रकट करें।
पंडित, मौलवी, पाठी,
तुमने ही तो बनाया है.! 
विज्ञानिक, अर्थशास्त्री, मुनीम,
तुझसे ही तो आया है..!
भूतकाल सारा का सारा...
तुमने ही तो हमें सुनाया है..!
यूं कोन जान पाता खुद-व-खुद
कायनात का लेखा-जोखा...
तुममें ही तो समाया है नमस्कार लेखकों🌸

आज के #rzdearcharacters में हम लेकर आये हैं #rzप्रियपुस्तक । 

पुस्तक न केवल हमारी कल्पना शक्ति बढ़ाती है, बल्कि हमें केंद्रित करती हैं सही राह की ओर। क्या कहेंगे आप इस शब्दों से लदे, मौन मित्र से? 

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