वादा किया था तुमने वापस ना लौटने का, फिर यूँ तेरा मेरे ख्वाब-ओ-ख्याल में आना गवारा ना गुजरा। वादा किया था तुमने की नजर-ए-उल्फत ना दूंगा, फिर यूँ तेरा मेरे ख्वाब-ओ-ख्याल में एकटक निहारना गवारा ना गुजरा। वादा किया था तुमने ताउम्र कसुरवार रहूंगी मैं, फिर यूँ तेरा मेरे ख्वाब-ओ-ख्याल में मुझे माफ़ करना गवारा ना गुजरा। जाओ अब आजाद हो तुम मेरे खयालो से, ख्वाब के बिनाह पर जीना मुझे गवारा ना गुजरा। written by my twinceii Noopur