यह गुजर रहा वो वक्त ही है अफसोस के बाद भी आशा भरा कोविड की लपकती आग से बचने गंगा तू सभी का साथ दे फौलाद बन सैन्य खड़ा बैखौफ देश को संभाला जैसे मात पिता कैसी है ये रोग की ज्वाला फिक्र में हर एक जल रहा वक्त के हाथ में जैसे कुछ नही वो ही मशीन हो चला परवाह नहीं उसे कोई वो तो सेकेंड, घंटा, दिन, महिनों लिए साल चला यह गुजर रहा वो वक्त ही है अफसोस के बाद भी आशा भरा कोविड की लपकती आग से बचने गंगा तू सभी का साथ दे फौलाद बन सैन्य खड़ा बैखौफ देश को संभाला जैसे मात पिता कैसी है ये रोग की ज्वाला फिक्र में हर एक जल रहा