मेरा दिल तो पागल दीवाना है मेरे घर के सामने ही मैख़ाना हैं उनसे मिल कर उन्हें दिखाना है बात दिल की आँखों से समझना है मैं तो सुनता हूँ आवाज उनकी ये ग़ज़ल तो सिर्फ इक बहाना है रात चाँद सी सूरत दिखी मुझको मुझे तो आज ही ईद मनाना है मुहब्बत करने का अंजाम क्या है मुहब्बत क्या है उनको बताना है तन्हा कटती नहीं अब ये राते बस अब तो उन्हें अपना बनाना है ये मोहब्बत की इम्तिहान ही सही मुझे हर इम्तिहान से गुज़र जाना है ©prakash Jha मेरा दिल तो पागल दीवाना है मेरे घर के सामने ही मैख़ाना हैं उनसे मिल कर उन्हें दिखाना है बात दिल की आँखों से समझना है मैं तो सुनता हूँ आवाज उनकी ये ग़ज़ल तो सिर्फ इक बहाना है