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विदेशों में पहचानी जाऊ, वहा मै सम्मान,भी पाऊ। फिर

विदेशों में पहचानी जाऊ,
वहा मै सम्मान,भी पाऊ।
फिर क्यो ?अपने ही देश में
मैं बस बोलने भर की,रह पाऊं।
सदियो से मैं , प्रतिकार सहू
राष्ट्रभाषा होकर भी , मैं
मातृभाषा भी ना रह पाऊं।
बेरोजगारी की जड से मैं
नौकरी से,वंचित हो जाऊं
फिर कैसे मैं,विश्व हिंदी दिवस
की शुभकामनाएं पाऊ?----नीता चौधरी

© #कविता,#समाज और संस्कृति,#

#worldhindiday
विदेशों में पहचानी जाऊ,
वहा मै सम्मान,भी पाऊ।
फिर क्यो ?अपने ही देश में
मैं बस बोलने भर की,रह पाऊं।
सदियो से मैं , प्रतिकार सहू
राष्ट्रभाषा होकर भी , मैं
मातृभाषा भी ना रह पाऊं।
बेरोजगारी की जड से मैं
नौकरी से,वंचित हो जाऊं
फिर कैसे मैं,विश्व हिंदी दिवस
की शुभकामनाएं पाऊ?----नीता चौधरी

© #कविता,#समाज और संस्कृति,#

#worldhindiday