!!मोटिवेशनल कविता !! "राही तेरा अकेला चलना मुझे नहीं अखरता, पर जब तेरी पुकार सुनता हूँ आगे चलते हुए, मजबूर हूँ मै अपने आप से, की लौट नहीं सकता हूँ अपने मार्ग से, यदि तू चलता मेरे संग तो दे देता, सारी खुशियाँ तेरे क़दमों मे, लेकिन क्या करू बंधा हूँ इस दुनिया मे मै, हर किसी के घर की दिवार पर, जो चल रहा हैँ मेरे संग उसे छोड़ नहीं सकता, जो नहीं हैँ संग मेरे उसे फिर ले नहीं सकता"!! नितिन अग्रवाल आगरा - प्यार का शहर समय का उपयोग करें !!