मदहोशी से भरी हैं। देखा है जब से उनको नज़रें बेसुध पड़ी हैं। "आईए जुगलबंदी करें इस प्रेम व तृष्णा पूर्ण छवि व वाक्यांश के साथ और बताएँ कि क्या ख़्याल आते हैं आपके मन में इन ऑंखों को देख कर" "कॉलेब करने के बाद कमेंट बॉक्स में 'संपन्न'/'Done' लिखना न भूलें" (कृप्या हमारे हैशटैग न हटाएँ जिससे हम आपकी रचनाओं को आसानी से पढ़ सकें)