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कलम की आवाज़ कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान।

कलम की आवाज़

कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान।
बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान।।

खडग काटती एक को, मैं काटूँ सब साथ।
मन में सच मेरे बसा, दुर्जन पीटें माथ।।

जिसका जैसा हाथ है, वैसा करती काम।
सच से मुझको प्रीत है, नहीं करूँ आराम।।

जिसको मुझसे प्रेम है, सुंदर हैं वे लोग।
उत्तम यह रचना करें, करके सही प्रयोग।।

कलम कहे यह जानलो, करो नहीं नाराज़।
मेरी है विनती यही, सभी सुनें आवाज़।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit
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कलम की आवाज़ (दोहे)

कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान।
बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान।।

खडग काटती एक को, मैं काटूँ सब साथ।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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