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किसको अपनी पीर सुनाऊँ, किसको अपना दर्द दिखाऊँ। हर

किसको अपनी पीर सुनाऊँ, किसको अपना दर्द दिखाऊँ।
हर एक साथी खुद मुझको, अब दर्द के छाले देने आया ।।
दुख दर्द मिटाने की बातें, किस्सों में अच्छी लगती हैं ।
अपनी हस्ती के आगे,हर कोई भाले देने आया ।।
बचपन मेरा अच्छा था,सपन सलोना अच्छा था ।
जबसे होश संभाला मैंने, हर कोई ताने देने आया ।।

©Shubham Bhardwaj
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