सुबह के सूरज संग चाय, शाम के सूरज संग चाय और थोड़ी सी अंगड़ाई, पर कभी चढ़ते सूरज संग छत पर एक छत ढूंढ के, उस चुप्पी के दो पलो में खुद संग चूपचाप से रहने के लिए क्या कभी तूने कोई दोपहर अपने ही वक़्त से चुराई? 🧡🧡 #afternoon #metime #relax #unwind #comfertablesilence #loveyourself #hindipoems #grishmapoems