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इक कलम और दूजा कागज दोनों एकांत के पलों में बन जा

इक कलम और दूजा कागज दोनों 
एकांत के पलों में बन जाते 
मेरे यार 
अंतरतम की खाइयों से हर दिन 
मिलाते है मुझे 
एकांत के पलों में 
ख्वाबों को सजाकर अपना बनाकर 
उड़ने की तैयारी करता 
सहारा देते हैं मेरे यार
एकांत के पलों में 
निश्छल प्रेम करोगे इनसे तो 
जानोगे इन्हें 
इक अच्छे दोस्त की तरह 
मानोगे इन्हें 
मिलाएंगे हर बार एकान्त के 
पलों में ❣️✍️

©वीrendra yadav
  #writer #एकांत के पलों में ❣️
nature lover and Ⓜ️e self lover 💕

#writer #एकांत के पलों में ❣️ nature lover and Ⓜ️e self lover 💕 #कविता

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