कहाँ हैं हसीं हर पहर करने वाले कि मिलते हैं दिल पे क़हर करने वाले यूं दामन छुडा के कहाँ चल दिए तुम मेरी जिदंगी को ज़हर करने वाले कि सागर है मीऩा है साक़ी है लेकिन नहीं हैं दिलो में लहर भरने वाले कहाँ छुप गए हो कि मिलते नहीं तुम मेरे साथ शामें गुज़र करने वाले कि सुली पे कल एक आशिक चढा क्यों कहाँ थे वफ़ा उम्र भर करने वाले जहाँ भी रहे है तू रहे खुश दुआ है मेरी आँख बहती नहर करने वाले कमाल अपनी गजलों में लिखेगा तुझको सुन ए मोम का दिल हज़र करने वाले #hayat #prayer 🤲🤲 122 122 122 122 बह़र सह़र - सवेरा / सुबह़ ज़ेर ओ ज़बर - उलट पलट करना हवादिस - हादसे नज़र - हवाले करना / भेंट चढ़ाना पुर सोज़ - जिसकी आवाज़ में दर्द हो सुख़न वर - शायर /