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हमें उनसे कुछ आस थी। क्योंकि उनके अंदाज़-ए-बयान,

हमें उनसे कुछ आस थी।
क्योंकि उनके अंदाज़-ए-बयान,
 में कुछ खास थी।
अक्सर महफ़िल-ए-इश्क में आकार,
वो मोहब्बत का पता पूछ लेते।
कहते थे खाली है दिल का,
चमन-बे-ज़ार हमारा।
हमने भी ब-इजाजत उनकी,
कोशिश की थी
जाने की दिल के मोहल्ले में उनके
मगर हुसन-ए-बाजार में उनके
किरायेदार बहुत थे।











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©Aman Sri
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