आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुण्ड आज जंग की घडी की तुम गुहार दो, जिस "सत्ता" की कल्पना में हो "बेरोजगारी" उस "सत्ता" को आज तुम नकार दो, भीगती नसों में आज, फूलती रगों में आज आग की लपट का तुम बघार दो, "उठो युवा ललकार दो, रोजगार दो, रोजगार दो" #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस https://t.co/PXlRgkaAwN आरम्भ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुण्ड, आज जंग की घडी की तुम गुहार दो आन, बान ,शान या की जान का हो दान, आज एक धनुष के बाण पे उतार दो मन करे सो प्राण दे जो,