तेरा शहर मीलों दूर मेरे शहर से, फ़िर भी तेरा इंतज़ार करती हूँ, जानती हूँ तू आएगा नहीं पर एकटक तेरी राह निहारना अच्छा लगता है। हवा जो उलझी मेरे बालों से, एहसास इक तेरा ही होता है मुझको, खुली आँखों को भी हरसू एक तू ही तू नज़र आता है। गीतों के हर बोल जैसे मानो मेरा हाल-ए-दिल बयां कर रहें इन दिनों, सखियाँ मेरी मुझे छेड़े, कहती बता रहती तू आजकल कहाँ है? इत्र की दरकार नहीं, तेरे ख़्यालों की महक से ही सराबोर रहती हूँ, तुझसे नाता यूँ तो नहीं कुछ मेरा, पर तुझमें खोया भटका रहना अच्छा लगता है। चलने देती नहीं वैसे तो किसी की भी मैं ख़ुद के सामने, पर तू सामने हो तो लफ्ज़ ख़ो जातें दिल बे ज़बान हो जाता है। कहतें हैं सब ही प्यार में हाल अक्सर कुछ ऐसा सा ही होता है, शायद यही प्यार है, अगर है तो तेरा हो जाने का ख़्याल मुझे अच्छा लगता है। ♥️ Challenge-726 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।