मैं आशाओं से भरी आशा हूँ, निराश होती हूँ लेकिन हार मानती नहीं। हराने की जो सोंचता हैं मुझे,वो खुद हार मान जाता है। क्योंकी अपनी हर गुप्त चाल मैं जा़हीर नहीं करती। सीखती हूँ हर बार हर चीज़ नयी। कोई क्या कहता है मुझे इस बात की परवाह नहीं। अपनी तीक्ष्ण बुद्धि पूरी,पतिदेव के पीछे खर्च कर देती हूँ। कहते है वो"बेकार में मुझपे शक करती हो",इससे अच्छा वकालत ही कर लेती। अब लिखकर अपने मन को तृप्त कर लेती हूँ। तारीफ पाकर लोगों की,प्रसिद्ध लेखक की भाँति खुश होती हूँ।। OPEN FOR COLLAB😍 Emblazon this bewitching background with your sumptuous thoughts💭, alluring vocable✒️ and exquisite presentation✨🔥. • A challenging from PROFOUND WRITERS💎 • Must use this hashtag; #expresstoinspire #pwinking