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अख्ज़-ए-अदा जो मेरा था, उसने भी ग़फालत कर दी। ख़ामोश

अख्ज़-ए-अदा जो मेरा था, उसने भी ग़फालत कर दी।
ख़ामोशी मेरी थी, बे-दर्द उसने भी बग़ावत कर दी।
आईने में क्या तुझसे आज़माईश करते ए-दोस्त,
आशुफ़्ता-ए-आशिक़ी मे हमने फिर गुस्ताख़ी कर दी। गुस्ताख़ी..!

#अख्ज़-ए-#अदा जो मेरा था, उसने भी ग़फालत कर दी।
#ख़ामोशी मेरी थी, #बे-दर्द उसने भी #बग़ावत कर दी।
#आईने में क्या तुझसे #आज़माईश करते ए-दोस्त,
#आशुफ़्ता-ए-आशिक़ी मे हमने फिर #गुस्ताख़ी कर दी।
#khnazim
अख्ज़-ए-अदा जो मेरा था, उसने भी ग़फालत कर दी।
ख़ामोशी मेरी थी, बे-दर्द उसने भी बग़ावत कर दी।
आईने में क्या तुझसे आज़माईश करते ए-दोस्त,
आशुफ़्ता-ए-आशिक़ी मे हमने फिर गुस्ताख़ी कर दी। गुस्ताख़ी..!

#अख्ज़-ए-#अदा जो मेरा था, उसने भी ग़फालत कर दी।
#ख़ामोशी मेरी थी, #बे-दर्द उसने भी #बग़ावत कर दी।
#आईने में क्या तुझसे #आज़माईश करते ए-दोस्त,
#आशुफ़्ता-ए-आशिक़ी मे हमने फिर #गुस्ताख़ी कर दी।
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khnazim8530

Kh_Nazim

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