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विधा:-लघुकथा विषय:-"तलाश" विनय एक पढ़ा लिखा नौजवान

विधा:-लघुकथा
विषय:-"तलाश"
विनय एक पढ़ा लिखा नौजवान था,वह दिनरात मेहनत करता और अपनी माँ का भी ख़्याल रखता था, वह रोज रोज नौकरी की तलाश में यहाँ वहाँ भटकता रहता था।

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विधा:-लघुकथा
विषय:-""तलाश"""

विनय एक पढ़ा लिखा नौजवान था,वह दिनरात मेहनत करता और अपनी विधवा माँ का भी ख़्याल रखता था, वह रोज रोज नौकरी की तलाश में यहाँ वहाँ भटकता रहता था,एक दिन उसे अपनी माँ को अकेला छोड़ दूसरे शहर जाना पड़ा तो वहाँ भी उसे कहिं कोई काम नही मिला औऱ वह बारम्बार नौकरी के साक्षात्कार दे कर थक चुके था, फिर हताश हो वह अपनी माँ के पास वापिस लौट आता है औऱ फिर उसके घर उसके मामा जी का आगमन होता है तो मामा जी ने पूछा औऱ विनय क्या कर रहे हो आजकल या यूं ही मक्खियाँ मारते फिरते हो फिर उसने उत्त
विधा:-लघुकथा
विषय:-"तलाश"
विनय एक पढ़ा लिखा नौजवान था,वह दिनरात मेहनत करता और अपनी माँ का भी ख़्याल रखता था, वह रोज रोज नौकरी की तलाश में यहाँ वहाँ भटकता रहता था।

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विधा:-लघुकथा
विषय:-""तलाश"""

विनय एक पढ़ा लिखा नौजवान था,वह दिनरात मेहनत करता और अपनी विधवा माँ का भी ख़्याल रखता था, वह रोज रोज नौकरी की तलाश में यहाँ वहाँ भटकता रहता था,एक दिन उसे अपनी माँ को अकेला छोड़ दूसरे शहर जाना पड़ा तो वहाँ भी उसे कहिं कोई काम नही मिला औऱ वह बारम्बार नौकरी के साक्षात्कार दे कर थक चुके था, फिर हताश हो वह अपनी माँ के पास वापिस लौट आता है औऱ फिर उसके घर उसके मामा जी का आगमन होता है तो मामा जी ने पूछा औऱ विनय क्या कर रहे हो आजकल या यूं ही मक्खियाँ मारते फिरते हो फिर उसने उत्त