ख़्वाहिश नहीं करते हम फिर से वही गलतियाँ दोहराई जाए लेकर सबक अपनी गलतियों से अपनी नासमझी को चलो समझदारी के साथ सुधारा जाए, उतार चढ़ाव भरी डगर है इम्तिहान की तन्हा ही सही चलो इसको पार किया जाए, माना कुछ गलती हुई हमसे इंसानों को परख़ने में,हो जाते शिकार हम फ़रेबियत का अपनों के ही फ़रेब से नासमझी में कर लेते हम विश्वास हर बार अपनों का,और वो तोड़ देते विश्वास हमारा हमें बार बार नादान समझ कर। ♥️ Challenge-491 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।