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एक्को नुर है सब दे अदंर नर है चाहे नारी ए ब्रहम

 एक्को  नुर है सब दे अदंर नर है चाहे 
नारी ए
ब्रहमण  खत्री  वैश्य  हरिजन  
ईक दी खलकत सारी ए 
रूह सभना दि  इको जही  ईको 
रब संवारी ए 
फिर क्यु  है जात पात के झगडे क्यु है 
वैर विरोध 
आओ मिलकर एक बने ओर  नेक बने

©Hemlata v sankpal
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मन # की  # आवाज

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