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दुख-दर्द का यह कैसा एहसास बना रहता है। जबसे हुए है

दुख-दर्द का यह कैसा एहसास बना रहता है।
जबसे हुए हैं तन्हा, एहसास ए खास बना रहता है।।
भुलाकर भी उसको हम यादों से जुदा न कर पाये।
साँसों में बसा रहता हो जैसे, वह पास बना रहता है।।

©Shubham Bhardwaj
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