ना जाने दिल का दर्द था, या उसने धोख़ा खाया था, मुझे अपनाकर कहने लगी, वो जो भी था पराया था। सारी रात बैठ कर उसके सिरहाने, मैंने उसे सुलाया था, मुश्किल से अपना हाथ छुड़वा कर, मैं घर को लौट पाया था। इल्ज़ाम था मुझ पर अगले दिन, कि मैंने उसे रुलाया था, पर माँ ने मेरी मुझे, बस यही तो नहीं सिखाया था। आई थी वो भी, मेरे आखरी वक़्त में मुझे कंधा देने, उस पर मेरा बस एक कंधे का कर्ज़ बकाया था। #आखरी_वक़्त #कंधा #कर्ज़ #बकाया #पराया #bestyqhindiquotes #yqdidi #ifyoulikeitthenletmeknow