देखो ना...कैसी है मेरी चित्रकारी...? बड़ी सरलता से पूछा था उसने मैंने आश्चर्यचकित होते हुए कहा है अतिसुन्दर! उसके चेहरे हर्षमिश्रित मुस्कान का अर्थ समझ नहीं पाई... केवल इतना कहा ये तुम रख लो मेरी ओर से मित्र समझकर काग़ज़ का स्मृति चिन्ह ! काग़ज़ फूल!मोहक हो सकते परन्तु महकते नहीं! कौड़ियों का कोई मूल्य नहीं होता इतना कहा जड़वत निश्चेष्ट वो..— % & देखो ना...कैसी है मेरी चित्रकारी...? बड़ी सरलता से पूछा था उसने मैंने आश्चर्यचकित होते हुए कहा है अतिसुन्दर! उसके चेहरे हर्षमिश्रित मुस्कान का अर्थ