अदावत नहीं इबादत करूँ अज्जियत में उससे रफ़्फाक्त करूँ फुरकत में रोई हैं आँखे मेरी ये किस्सा किसे और कैसे कहूँ....!!! ©Adarsh k Tanmay किससे कहूँ और कैसे कहूँ