White हंसा जोर से, जब दुनिया बोली इसका पेट भरा है, दर्द का हलवा खा-खाकर शायद मोटा हो चला है। जो रातों को जागे, वो भला कैसे भूखा होगा, आंसुओं से प्यास बुझाई, ये तो उसका अनोखा नशा होगा। दिखता है खुश, तो जरूर आलीशान जिंदगी जीता होगा, ग़मों की क्या मजाल, उसे तो बस सोने का चम्मच मिला होगा। मुंह फुलाए, झूठी हंसी से भी पेट भरता है, क्योंकि दुनिया मानती है, दुखियों का कोई हक नहीं हंसने का। हंसी देखी तो समझे, इसका दुख नक्कारखाने की तूती है, कहां देखेगा कोई वो घाव, जो भीतर गहराई से छिपी है। तसल्ली तो ये है कि दुनिया समझदार है बड़ी, दिल की भूख कौन माने, जब दिखावे में हर चीज़ सस्ती पड़ी। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora