गांव की याद...#०1 आज बहुत दिनों बाद, आई गांव की याद! पिताजी की मार, मां की प्यार भरी डांट!! शहर की किलकारियां, पैसों की दौड़ धूप में! आज फिर उन्हीं पेड़ों की छांव याद आई है, आज बहुत दिनों बाद गांव की याद आई है!! यह कई तरह के पकवान, अब नहीं भाते हैं! मां की याद में कभी हम, भूखे ही सो जाते हैं!! वह दोस्त मुझे बचपन के, याद बहुत आते हैं! साथ पढ़ना, खेलना... हम भुला नहीं पाते हैं!! आज कलम के द्वारा व्यक्त की तन्हाई है! आज बहुत दिनों बाद गांव की याद आई है!! ~Keshav Pathak to be continued.... ©कवि की कल्पना ✍️ #Light