#VGSiddhartha #ccd #cafecoffeeday " तुम भी तो देश छोड़ कर, कहीं भी भाग सकते थे, उठाकर बाज़ार से पैसा,मुश्किलों से पार पा सकते थे, ये द्वंद अपने अंदर क्यों पलने दिया, क्यों खुद को इस तरह छलने दिया, अपनी मेहनत से जो इमारत खड़ी की, उसी नींव को कैसे तुमने मिटने दिया, माना दुश्वारियों को स्वरूप विकराल था, किसी से भी मदद का, पड़ गया अकाल था, तुम जीते जी ,एक चिट्ठी सब को लिख देते, अपनी ईमानदारी से,सबका दिल जीत लेते... 1/2 -Author Vivek Sharma #vgsiddhartha #ccd #cafecoffeeday #yqbaba #yqdidi #yqcoffee #coffee #yqlife