कभी अगर मै रास रंग से व्याकुल हो , दायित्वों के झरोखे से, कर्तव्यपथ पे आगे बढ़ जाऊँ, तुम, विरह में डूबी राधा या मीरा मत होना, तुम होना अधरों की मुरली, हर सुर हर ताल की संगनी बन , मेरी सांसों में बस, सांसों से संचालित होना, कान्हा ,रास रचे , कान्हा, गीता रचे, तुम अधरों से लग स्वर साधे रहना...!! #शुभ्रा Gumnaam Musafir