जो लम्हे हैं मिले तुम्हे खुल के जी लो उन्हें ना आएँगे ये लौटकर दुबारा पूरे कर लो अपने सपने अब स्वार्थ पर दुनिया की दौड़ में सिकुड़ गये लम्हे। उन लम्हों को छोड़ वर्षों ने ली करवट दो पहर के लिए।। #restzone #rzलेखकसमूह #rztask232 #YourQuoteAndMine Collaborating with Aadhyajeet Singh