Nojoto: Largest Storytelling Platform

उड़ जा रे पंछी कहीं दूर गगन में नहीं है उचित रहना

उड़ जा रे पंछी कहीं दूर गगन में नहीं है उचित रहना तेरा किसी भव्य भवन में या मनुष्य तुझे कह दी बनाकर रखेगा अपने स्वार्थ के लिए तुझे गद्दी पर बैठा कर रखेगा|
तुझ पर जुल्म करके यह मनुष्य महानता का नकाब पहनकर रखेगा तुझे दो वक्त का दाना पानी देखिए तुझको अंधकार में और खुद को आता बनाकर रखेगा|
मतलब तू वफादारी इनकी स्वार्थ के लिए अपने नहर में उड़ जा रे पंछी कहीं दूर गगन में नहीं है उचित रहना तेरा किसी भव्य भवन में|
#heaven

उड़ जा रे पंछी कहीं दूर गगन में नहीं है उचित रहना तेरा किसी भव्य भवन में या मनुष्य तुझे कह दी बनाकर रखेगा अपने स्वार्थ के लिए तुझे गद्दी पर बैठा कर रखेगा| तुझ पर जुल्म करके यह मनुष्य महानता का नकाब पहनकर रखेगा तुझे दो वक्त का दाना पानी देखिए तुझको अंधकार में और खुद को आता बनाकर रखेगा| मतलब तू वफादारी इनकी स्वार्थ के लिए अपने नहर में उड़ जा रे पंछी कहीं दूर गगन में नहीं है उचित रहना तेरा किसी भव्य भवन में| #heaven #poem

125 Views