White तुम्हारे कदमों में जानम मैं ये अंबर झुका दूं क्या ? इंस्टा पे हुई चैटिंग तो अब नंबर बता दूं क्या ? यूं तो दोस्ती का मैं हवाला रोज देती हूं, तुम्हें अपनी भतीजी का मैं अब फूफा बना दूं क्या ? शर्म और लाज तो होता है हर औरत का एक गहना, तुम्हें एतराज ना हो तो मैं ये पर्दा गिरा दूं क्या ? बहुत हैं चाहने वाले एक तुम ही नहीं लट्टू, तुम्हें इंट्रेस्ट हो तो मैं तुम्हें सबसे मिला दूं क्या ? मेरे हार्ट में है सेव सीतापुर का वो लड़का तुम्हारे कहने पर अब मैं उसे रिप्लेस कर दूं क्या? बढ़ी नजदीकियां तुमसे तो फिर अब ये भी सुन लो तुम जो प्यारी हो तुम्हें ऐसी कोई मिस्टेक कर दूं क्या ? कि अब पैनकार्ड पर शुक्ला मुझे अच्छा नहीं लगता कि अपने नाम के आगे तेरा सरनेम लिख दूं क्या ? जो तेरा है वही मेरा यही गर रूल है तो फिर अपने बैंक खाते को मैं अब ज्वाइंट कर दूं क्या ? मिटा दूं फासले जो तेरे मेरे दर्मियां ठहरे आधार पर अपने तेरा एड्रेस कर दूं क्या ? कि मेरे लफ्जों में है दम नहीं फिर भी कहो गर तुम एक कविता लिखूं तुम पर तुम्हें नि:शब्द कर दूं क्या? है गर मंजूर तो ना चुप रहो मुझसे यही कह दो "तुम्हारी मांग सूनी है मैं अब सिंदूर भर दूं क्या?" प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर ©#काव्यार्पण तुम्हारे कदमों में जानम:- प्रज्ञा शुक्ला #sad_quotes #Kavyarpan #pragyapoetry #Nojoto #काव्यार्पण Sushant Er Aryan Tiwari शिवम् सिंह भूमि Yash Mehta poetry lovers punjabi poetry poetry in hindi hindi poetry on life poetry quotes