"अपने वतन में" हमने सुना था एक हैं भारत सब मुल्कों से नेक भारत लेकिन जब नजदीक देखा सोच समझ कर ठीक से देखा हमने नक्से और ही पाएं बदलें हुए सब तौर ही पाएं एक से एक की बात जुदा हैं धर्म जुदा हैं और जात जुदा हैं आपने जो कुछ हमको पढ़ाया वो तो कहीं नजर ना आया " अपने बतन में " वो ही हैं जब कुरान का कहना जो हैं वेद पुराण कहना फिर ऐ सौर सराबा क्यों हैं इतना खून खाराबा क्यों हैं कुछ इंसान बाह्मण क्यों कुछ इंसान हरिजन क्यों हैं एक की इतनी इज्जत क्यों हैं एक की इतनी जिल्लत क्यों हैं अब तो देश में आजादी हैं फिर क्यों जानता फरियादी हैं