नयन में अशांत समंदर आज कुछ गढ़ रहा है जो तपते मेरे गाल पे गिर भाप बन उड़ रहा है बाजुओं में बेजोड़ जोर आज मजबूर कहीं कह दो झूठ है ये कि आज तुम जा रही । For complete poem you can text me or you can follow me on fb by googling me as "Nasin Nishant". #LoveShayari