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मन में हैं घन तन्हाई के, नैन बहाए झरना ऐ सावन ! द

मन में हैं घन तन्हाई के, 
नैन बहाए झरना ऐ सावन !
दिलो -दिमाग़ में तू इंद्र धनुष सी, 
याद तेरी बिजली सी अगन !!

है निठुर बड़ी वियोग की तड़पन, 
हुआ नामुमकिन अब जीना जीवन !
आजा अब भी तुझे पुकारे, 
हो बेकल ये रूह ऐ मदन  !!

©Madan Faniyal Singh वियोग का दुःख 😱
मन में हैं घन तन्हाई के, 
नैन बहाए झरना ऐ सावन !
दिलो -दिमाग़ में तू इंद्र धनुष सी, 
याद तेरी बिजली सी अगन !!

है निठुर बड़ी वियोग की तड़पन, 
हुआ नामुमकिन अब जीना जीवन !
आजा अब भी तुझे पुकारे, 
हो बेकल ये रूह ऐ मदन  !!

©Madan Faniyal Singh वियोग का दुःख 😱
madanfaniyalsing6853

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