मन में हैं घन तन्हाई के, नैन बहाए झरना ऐ सावन ! दिलो -दिमाग़ में तू इंद्र धनुष सी, याद तेरी बिजली सी अगन !! है निठुर बड़ी वियोग की तड़पन, हुआ नामुमकिन अब जीना जीवन ! आजा अब भी तुझे पुकारे, हो बेकल ये रूह ऐ मदन !! ©Madan Faniyal Singh वियोग का दुःख 😱