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रस्ता और गाँव आज भी उन गलियारों से उतना ही है लगाव

रस्ता और गाँव आज भी उन गलियारों से उतना ही है लगाव,
आज भी यादों में जींदा है वो मेरा रस्ता और गांव।

बादल सा जहां में बेख़ौफ सा घूमता था,
हर अनजान शक्स भी वहां अपना सा लगता था।

रखवालदार को चकमा देना, 
और अमराई से आम चुराना।

पेड़ों पे जुले जुलना,
और दोस्त के लिए किसी से भिड़ना।

जब से आए है शहर में,
मुझ में बचा ही कहां हूं मैं।

अब आंखें नम हो जाती है,
जब भी गांव की याद आती है। #रस्ताऔरगांव

#akshaysamel #रस्ता #गाव #बचपन
रस्ता और गाँव आज भी उन गलियारों से उतना ही है लगाव,
आज भी यादों में जींदा है वो मेरा रस्ता और गांव।

बादल सा जहां में बेख़ौफ सा घूमता था,
हर अनजान शक्स भी वहां अपना सा लगता था।

रखवालदार को चकमा देना, 
और अमराई से आम चुराना।

पेड़ों पे जुले जुलना,
और दोस्त के लिए किसी से भिड़ना।

जब से आए है शहर में,
मुझ में बचा ही कहां हूं मैं।

अब आंखें नम हो जाती है,
जब भी गांव की याद आती है। #रस्ताऔरगांव

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akshaysamel7542

AKSHAY SAMEL

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