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वक्त है बारिश का, बादलों की घनेरी छाई है दिल में

 वक्त है बारिश का, बादलों की घनेरी छाई है
दिल में उसकी याद बसी होती हैं पर शायरी आई है।

अंजान इस गली में एक घर अब हमारा चाहिए।
सूखे हुए पौधों पर प्यार का फवारा चाहिए
तारास सी गई हैं निगाहें तुम्हें देखने के लिए अब रोने के लिए भी तेरे बाहों का सहारा चाहिए 😊😊

©Varun Dev jageshwar
  #Mountains Teri bahon ka Sahara...
varundevjageshwa5805

Afshana...

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#Mountains Teri bahon ka Sahara... #शायरी

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