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भला हमें क्या मिलेगी मंज़िल जब हुस्न मेरा कुसूर दे

भला हमें क्या मिलेगी मंज़िल जब हुस्न मेरा कुसूर देखता है 
आशिक़ कब बंदिशें और दुनिया का दस्तूर देखता है 
इन्सान सब है मग़र नजरिये का फ़र्क है कबीलों में 
ख़ुद को ताक़तवर और हमको मज़बूर देखता है । #gif #दस्तूर 
#क़लम_ए_ख़ास
भला हमें क्या मिलेगी मंज़िल जब हुस्न मेरा कुसूर देखता है 
आशिक़ कब बंदिशें और दुनिया का दस्तूर देखता है 
इन्सान सब है मग़र नजरिये का फ़र्क है कबीलों में 
ख़ुद को ताक़तवर और हमको मज़बूर देखता है । #gif #दस्तूर 
#क़लम_ए_ख़ास