दुष्कर लक्ष्य का संधान हूँ l कोटि जनों का स्वाभिमान हूँ l हुंकार हिन्द के वीरों की , मैं भारत का अभिमान हूँ l गंगा की निर्मल धार में भी हिम की सर्द बयार में भी , यमुना की चपल तरंगों में प्रस्फुटित पुष्पों के रंगों में , नव प्रभात की पहचान हूँ l मैं भारत का अभिमान हूँ l गीता के अमिट श्लोकों में रामायण के दोहों व छंदों में , वेदों के ज्ञान के संगम में अध्यात्म प्रकीर्णित सुगंधों में , नव चेतना और नव प्राण हूँ l मैं भारत का अभिमान हूँ l ❤ प्रतियोगिता- 703 ❤आज की कविता प्रतियोगिता के लिए हमारा विषय है 👉🏻🌹"अभिमान"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल हिंदी भाषा के शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 🌟wallpaper को contrast करते हुए ध्यान रहे कि ये visible हो।