कश्ती मेरी किनारों की तलाश मे, तूफ़ानों से जा मिली है, अब तो हवाओ और पानियों के साथ एक जंग सी छिड़ी है, क्या मुकद्दर है अब मुजे नहीं पता, पर चल कर पीछे हटना मुजे नहीं आता, कोई गम नहीं अगर टूट के बिखर भी गया, टूट के समेटना खुद को अब तो है आ गया. The Life!