ये मत कहो तुम ख़ुद से,अँधेरा ही हर जगह हैं ये कह दो तुम निशा से,अभी सुबह हुई कहाँ है ये रात का है साया,धुँधला सा हर समां है है दूर रोशनी का कोई कतरा,क्या मँज़िल मेरी वहाँ है हसरतें दिल में जिसने दी हैं,उसने नसीब भी लिखा है जीवन है कोरा कागज़,मुकम्मल मेरा ख़ुदा है वो समुंदर है,मैं हूँ दरिया,उसी में जा मिला हूँ अलग से मैं कुछ नहीं हूँ,वो खुश्बू है ,मैं हवा हूँ चल पड़ा है किस डगर पर,ज़िदंगी का ये सफ़र भी चलना भी है जरूरी,पता भी पता कहाँ है सिर्फ खोना नहीं है मकसद,कुछ पाना भी यहाँ है पाने से पहले खोना,जरूरी शर्त बस यहाँ है... © abhishek trehan #अँधेरा #yqdidi #manzil #safar #zindagi #yqhindi #mypoetry #manawoawaratha