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जाने कितने झूठे- साचे, सैयां तेरे बोल.. बोल से म

जाने कितने झूठे- साचे, 
सैयां तेरे बोल.. 
बोल से मन को तोल न पाऊँ, 
भेद तु दिल के खोल.. 

भावे तेरी ज़हर नजरिया, 
मिले न कोई तोड़,
सैयां लागे जादूगर से,
करें अनेको झोल.. 

जाने कितने तीखे-मीठे, 
सैयां तेरे बोल.. 
बोल से हर बारी रीझ जाऊँ, 
मन से इस मन को मोल..
😍

©Chanchal's poetry
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