अपनी पलकों के ख्वाबों को पलकों तले ही रहने दो, जुबा को चुप ही रहने दो, इन्हें यू लफ्जों में ना बहने दो, यूं ही पलकों की छांव में, ख्वाबों को पलने दो, लफ्ज़ पर आए तो फिर, क्या क्यों और किस लिए के सवाल होंगे, दुनिया के बाजारों में फिर यह नीलाम होंगे, इन्हें दिल की गलियों में ही सुकून से रहने दो, वक्त आने पर खुद बयां हो जाएंगे, बस तमन्नाओं का चिराग सदा, दिल के गलियों में जलने दो, ख्वाबों को पलकों तले ही प पलने दो , और शाम ए जिंदगी यूं ही इन्हें पूरा करने, आस में होले होले चलने दो।। #अपनी पलकों के ख्वाबों को