#OpenPoetry मैने खामहखाह मेरे दिल को तुम्हारा ठिकाना समझ लिया.......... बेशक इसे तुमने किराये पर था लिया,मगर किराया तुमने भी तो कभी अदा नहीं किया................. मैं समझी रहना यहाँ तुम्हे रास आने लगा,इस दिल को तुमने अपना घर कर लिया......... इस नासमझी मे मैने मेरा दिल-ए-आशियां तुम्हारे नाम कर दिया........ मैने तब क्यू सोचा नहीं.......? मन चाहे दिल-ए-आशियां का जब ख्वाब तुम्हारा मुक्कमल होगा.......... ठिकाना तब तुम्हारा किसी और का दिल होगा.......... हाँ मगर तुम्हारे जाने के बाद भी इस दिल-ए-आशियां पर नाम सिर्फ तुम्हारा होगा.............. #OpenPoetry#khwamahkha #Chanchal_Mann #hindinojoto#poetry