मरोड़ खाती अतड़ियों का दर्द न देखा गया तो लब बोल पड़े, जुबानों की क्या गलती। फक़त पेट की रोटी मांगी, तख़्तो-ताज नहीं। भला इतने अदने से अरमानों की क्या गलती। खेतों की बिवाई न भरी तो धरतीपुत्र दौड़ पड़ा क्यों लहू से तर दिया, किसानों की क्या गलती। विनोद विद्रोही #किसान #दिल्ली #लाठीचार्ज