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समर्पण✍️✍️✍️ मैं नहीं चाहती थी संसारी होकर जीना


समर्पण✍️✍️✍️


मैं नहीं चाहती थी संसारी होकर जीना 
मैं नहीं चाहती थी किसी पे भी मरना 
मेरा आत्मसुख मेरा समर्पण कहीं और होना था 
मुझे संसार में लिप्त नहीं होना था 
मुझे चाहिए था ईश्वर तत्व का उजाला 
मगर इस जगत का नियम था निराला 
मन आज भी विचरण कर रहा है 
अध्यात्म की ओर जा रहा है 
मगर मैं ये कैसे जाल में फंस गई 
मेरे जीवन की नांव न जाने किस भंवर में फस गयी 
मुझसे क्यों नहीं हो पाया जीवन में ये अर्पण 
आत्मसमर्पण कर क्यों नहीं कर में खुद का {समर्पण}...




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©Richa Dhar
  #WalkingInWoods समर्पण
richadhar9640

Richa Dhar

New Creator

#WalkingInWoods समर्पण #कविता

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