वो मेरा मिट्टी का घर मेरे आंगन की चारपाई वो पीपल का पेड़ फिर चलती पुरवाई वो फ़ूलों का बगिचा और लह-लहाते खेत वो मिट्टी की क्यारी फिर नदी की रेत वो कुए का पानी मिट्टी की सुराही पीता था आ कर वो चलता हुआ राही वो गावँ के मेले सावन के झूले वो सर्बत का गोला और चाट के ठेले याद करता हूँ अब भी उस मिट्टी के घर को उस प्यारे सफर को उस मीठी डगर को #IITKIRDAAR #मेरा_मिट्टी_का_घर #YTM #TYM