बारीशौकी बुंदो के लिये तरस रही है ये धरती पाणी की आस लगा कर बैठा है सारा जहा... जिंदगी की डोर है कुदरत के हाथ मे ना जाने कौनसा खेल खेल रहा उपरवाला.... वसंत का महिना आ रहा निकट धरती पर आ गया कोरोना का संकट... ना जाणे ये नई बारीश क्या रंग दिखायेगी सुख या दुःख की कामना करेगी... #rain#rain #barish #hindi poem