तू चल यूंही तेरी सच्चाई तेरी ललकार है, तेरी लड़ाई जिसके साथ है, वो तो नकाबो की दुकान है, कैसे पहुंचाऊं अपना सन्देश, उन लोगों के समक्ष, जिनका मैं कर्ज़दार हूं, जिनका मैं शुक्रियादा करता हूं, कि मेरी लड़ाई तुम्हारे साथ नहीं, मत घसीटो खुद को इस मैदान में, कैसे दूं तुम्हे मैं आश्वासन की मेरी लड़ाई, में तुम्हारा अगर कोई योगदान है, तो वो सिर्फ ये कि तुमने मुझे मारने ना दिया था, मेरे साथ एक ही समय पर बहुत कुछ ऐसा हुआ था, कि न तुम समझ पाए और न मैं समझा पाया, समाज में तुम्हारी इज्ज़त न खो जाए, ये मेरी हार होती इसलिए मैं खुद को गया, क्यूंकि कृष्णा ही नहीं अब तो शिवा भी मेरे साथ था, तुम्हारा अपना एक परिवार था, जिसपर अपनी लड़ाई, के छींटे नहीं आने दे सकता था, इसलिए तुमको खुद से दूर, करना ही एक मात्र उत्तर मिला, इसलिए मैं वो कड़वा घूट, पी गया जिसका तुम्हें अंदाज़ा भी न था, पर तुम मेरे शत्रु नहीं सिर्फ ये संदेश तुम्हें पहुंचना था ©Akhil Kael #Manmarziyaan