खुदगर्ज सा है ये मौसम..... बरसता है पर प्यास कहां बुझाता है... मुकम्मल कहां ख्वाहिश जमीन की... ख्वाब दिखाकर हमेशा तरसाता है... © Prashant Sharma #RainOnMyHand