मैं हूं निश्चय मैं हूं "अटल" मैं हूं निमित्त मैं हूं "प्रबल" कोई तूफ़ान मुझे न तोड़ पायेगा मौत को सीना तान के न्यौता दिया था तो आज ऐसे कैसे मैं हार मान जाऊंगा आंधियों में बुझते दीये जलाने की हिमाकत की है हर चुनौती का सामना दोनो बाहें फैला के की है तो आज ये मौत मुझे न मार पायेगा अपने सादगी के जरिये शत्रु को मित्र बनाया था तो आज ऐसे कैसे मैं हार मान जाऊंगा "हिन्दराष्ट्र" का सपना लिए आया था "पोखरन" के जरिये पूरे बिश्व में अपना शक्ति प्रदर्शन किया था तो आज काल के करालता मुझे न झुका पायेगा मेरी "प्रतिज्ञा" अटल थी मेरा "जज़्बा" अटल था तो आज ऐसे कैसे मैं हार मान जाऊंगा हर हिंदुस्तानी के दिल में जिंदा रहूंगा अटल था अटल जिया अटल ही मैं कहलाऊंगा मैं हूं निश्चय मैं हूं "अटल" मैं हूं निमित्त मैं हूं "प्रबल" कोई तूफ़ान मुझे न तोड़ पायेगा मौत को सीना तान के न्यौता दिया था तो आज ऐसे कैसे मैं हार मान जाऊंगा आंधियों में बुझते दीये जलाने की हिमाकत की है